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Mata Tripura Sundari Temple: 52 शक्तिपीठों में से एक है मां का यह स्वरूप, किसी ने चढ़ाया शीश तो किसी ने माना इष्ट देवी

Mata Tripura Sundari Temple: मंदिर में आने वाले हर इंसान की मुराद पूरी होती है. अमावस्या और पूर्णिमा के दिन यहां कई तरह के जप और अनुष्ठान होते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद लोग यहां चढ़ावा चढ़ाने भी आते हैं.

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मां त्रिपुर सुंदरी

Mata Tripura Sundari Temple: भारत में त्रिपुर सुंदरी के नाम से राजस्थान के बांसवाड़ा में स्थित इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है. वैसे तो त्रिपुरा सुंदरी के मंदिर और भी कई जगहों पर हैं, लेकिन इस मंदिर में लगने वाली लोगों की भीड़ और इसके निर्माण की शैली के चलते यह विशेष रूप से प्रसिद्ध है. माना जाता है कि यह मां के 52 शक्तिपीठों में से एक है. इसलिए यहां तांत्रिकों का भी जमावड़ा लगा रहता है. इसके आसपास की प्राकृतिक छटा और मंदिर से जुड़े रहस्य हर किसी को आकर्षित करते हैं.

मंदिर में आने वाले हर इंसान की मुराद पूरी होती है. अमावस्या और पूर्णिमा के दिन यहां कई तरह के जप और अनुष्ठान होते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद लोग यहां चढ़ावा चढ़ाने भी आते हैं. जिनमें देश के कई बड़े नेता भी शामिल हैं.

इस राजा ने अर्पित किया था शीश 

माना जाता है कि प्राचीन काल से ही राजा महाराजा मां त्रिपुरा सुंदरी की पूजा किया करते थे. वहीं इतिहासकारों के अनुसार त्रिपुरा सुंदरी गुजरात के सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह की इष्ट देवी थीं. स्थानीय लोगों के अनुसार मालव नरेश जगदेश परमार मां कि भक्ति में इतना लीन हो गए कि अपना शीश ही काट कर मां के चरणों में अर्पित कर दिया. किंवदंतियों के अनुसार मां कि शक्ति का प्रमाण इस बात से भी मिलता है कि इसके बाद मां ने उन्हें पुनर्जीवित कर दिया था. तब से मां कि मान्यता और महत्ता दूर-दूर तक फैल गई. मंदिर में सम्राट कनिष्क के समय का एक शिव लिंग भी स्थापित है.

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दिन में तीन बार बदलती हैं मां रूप

बांसवाड़ा जिले से लगभग 18 किलोमीटर दूर अरावली पर्वतमालाओं के बीच माता त्रिपुरा सुंदरी के इस मंदिर के मुख्य द्वार के दरवाजे और दूसरी कई चीजें चांदी के बने हैं. शेर पर सवार मां त्रिपुरा सुंदरी की यह मूर्ति अठारह भुजाओं वाली है. बात करें मूर्ती की उंचाई की तो यह पांच फीट ऊंची है. मां की मूर्ति की एक और खासियत यह है कि इसमें माता दुर्गा के नौ रूपों की प्रतिकृतियां अंकित हैं. माना जाता है कि मां दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं.  जिस कारण इन्हें त्रिपुरा सुंदरी कहा जाता है. स्थानीय लोग कहते हैं कि एक समय ऐसा था जब मंदिर के आसपास तीन दुर्ग थे. यह भी एक कारण हो सकता है इनके इस नाम के पीछे.

52 शक्तिपीठों में से एक है यह

धार्मिक कथाओं के अनुसार जब मां पार्वती अपने पिता दक्ष प्रजापति के यहां अपमानित हुईं तब भगवान शिव ने उनके यहां हो रहे यज्ञ को तहस-नहस कर दिया और उसके बाद मां सती के मृत शरीर को कंधे पर रखकर घूमने लगे. उनके इस रूप को देखकर माना गया कि संपूर्ण जगत में प्रलय की स्थिति आ सकती है. इस स्थिति से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने योगमाया के सुदर्शन चक्र की सहायता से मां सती के शरीर के अंगों को अलग-अलग करते हुए पृथ्वी पर गिरा दिया. जिन जगहों पर मां सती के अंग गिरे वे सभी जगह शक्तिपीठ में तब्दील हो गए.

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