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Aamir Khan: गरीबी के दिनों को याद कर आमिर की आंखों में आ गए आंसू, बोले- अब्बा को प्रॉब्लम में देखकर तकलीफ होती थी

Aamir Khan: आमिर खान को आखिरी बार ‘लाल सिंह चड्ढा’ में देखा गया था, हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास चल नहीं पाई थी लेकिन नेटफ्लिक्स पर रिलीज होने पर इसे बहुत पसंद किया गया था.

Aamir Khan

इमोशनल हुए आमिर खान (फोटो सोशल मीडिया)

Aamir Khan:  बॉलीवुड एक्टर आमिर खान ने हाल में अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कई गंभीर खुलासे किए हैं. एक्टर अपनी गरीबी के दिनों को याद करते हुए रो पड़े.

बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान का कहना है कि, जब वह बड़े हो रहे थे. तो उनके परिवार की फाइनेंशियल स्टेज को लेकर लोगों में कई तरह की गलतफहमियां थीं. उनके पिता, ताहिर हुसैन एक फिल्म निर्माता थे, इसलिए सभी को लगा कि वे एक लग्जरी लाइफ जीते होंगे. हालांकि, हमेशा ऐसा नहीं था. ‘ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे’ के साथ बातचीत में, आमिर खान ने याद किया कि जब वह लगभग 10 साल के थे, तब परिवार को काफी मुश्किल दिनों से गुजरना पड़ा था. उनके पिता ने एक फिल्म के लिए ब्याज पर कर्ज लिया था, जो करीब आठ साल तक नहीं बन पाई थी. आमिर उस बुरे दौरा के बारे में सोचकर भावुक हो गए, यहां तक की एक्टर की आंखों से आंसू बहने लगे.

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कर्ज में डूबे अब्बा को देखकर तकलीफ होती थी

‘लाल सिंह चड्ढा’ एक्टर ने बताया,  “जो चीज हमें सबसे ज्यादा परेशान करती थी वह थी अब्बा जान को देख के क्योंकि वह बहुत ही साधारण इंसान थे. शायद उन्हें इतनी समझ नहीं थी कि उन्हें इतना कर्ज नहीं लेना चाहिए था.’ आमिर ने कहा कि फिल्म के टिकट ब्लैक में बिकने से प्रोड्यूसर्स को भी अक्सर उनका बकाया नहीं मिल पाता था. उन्होंने कहा कि हालांकि उनके पिता की कुछ फिल्में चलीं, लेकिन ‘उनके पास कभी अंधाधुंध पैसा नहीं था.’ “उनको प्रॉब्लम में देखकर तकलीफ होती थी क्योंकि उनके पास पैसों के लिए धमकीभरे फोन आते थे और झगड़ा शुरू हो जाता था फोन पे कि ‘मैं क्या करूं, मेरे पास पैसा नहीं है. मेरी फिल्म अटकी है, मेरे एक्टर्स को बोलिए डेट्स देने को मुझे.”

आमिर ने यह भी बताया कि, “उनके पिता ने तब भी सभी के पैसे लौटाए थे. एक्टर ने याद किया कि कैसे महेश भट्ट अपनी एक फिल्म का बकाया पैसा वापस मिलने पर हैरान हो गए थे, जबकि उन्होंने इसके लिए सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं. उन्होंने याद किया कि, मां उनके लिए जानबूझकर लंबी पैंट खरीदती थीं और उसे मोड़कर पहनाती थीं ताकि पैंट लंबे समय तक चल सकें”.

-भारत एक्सप्रेस

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