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Russia: रूसी तेल पर ‘प्राइस कैप’ को लेकर पुतिन सरकार का बड़ा बयान, समर्थन करने वाले देशों को नहीं बेचेगा तेल!

Russia: रूस पर पश्चिमी देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे पर ऐसे में भारत एक मात्र एक ऐसा देश था, जिसने रूस से तेल खरीदारी की थी और धीरे-धीरे तेल की सप्लाई बढ़ती गई.

Russia Ukraine War

रूस यूूक्रेन युद्ध

Russia: यूक्रेन से युद्ध लड़ रहे रूस के तेल पर मूल्य सीमा (PRICE CAP) लगाने की तैयारी में पश्चिमी देश के मामले में रूसी विदेश मंत्रालय ने बड़ा एलान किया है. रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि रूस एक बार फिर स्पष्ट कर रहा की जो भी देश इस मूल्य सीमा (PRICE CAP) का समर्थन करेंगे, उसे हमारा देश तेल सप्लाई नहीं करेगा, साथ ही कहा कि पश्चिमी देशों का तेल पर मूल्य सीमा (PRICE CAP) लगाने का प्रस्ताव बाजार के नियमों के खिलाफ यानी एंटी मार्केट है और तेल चेन सप्लाई पर इसका गहरा असर पड़ेगा.

मारिया जखारोवा, रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि यह प्रस्ताव बाजार के खिलाफ है, साथ ही इसके कई नुकसान भी हैं. आगे उन्होंने कहा कि हम उन सभी देशों को तेल नहीं बेचेंगे जो इस मूल्य सीमा (PRICE CAP) के समर्थन में होंगे. प्रवक्ता ने यह ही कहा कि यह मूल्य सीमा (PRICE CAP) पूरी तरह से रूस के खिलाफ है.

पश्चिमी देश मूल्य सीमा लगाने की तैयारी में

कई महीनों से चल रहे रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से कई प्रमुख पश्चिमी देशों को प्रतिबंधों को सामना करना पड़ रहा है. यही वजह से पश्चिमी देश अब रूस पर मूल्य सीमा (PRICE CAP) लगाने वाले है. G-7 ग्रुप और यूरोपियन यूनियन ने यह फैसला किया. इस मूल्य सीमा (PRICE CAP) से रूसी तेल की कीमत तय हो जाएंगी फिर इसी आधार पर रूस को अपना तेल बेचना होगा.

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जहां पश्चिमी देश तेजी से इसे लागू करने की कोशिश में लगे हैं, वही रूस इसका विरोध जता रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार 5 दिसंबर से पहले ही इसे लागू किया जा सकता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक मूल्य सीमा लागू होने के बाद, रूसी तेल की कीमत 65 से 60 डॉलर प्रति बैरल हो जाएगी. हालांकि, अभी इस रिपोर्ट की आधिकारिक पुष्टि हुई है.

भारत खरीदता है रूस से भारी मात्रा में तेल

रूस पर पश्चिमी देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे पर ऐसे में भारत एक मात्र एक ऐसा देश था, जिसने रूस से तेल खरीदारी की थी और धीरे-धीरे तेल की सप्लाई बढ़ती गई. अमेरिका ने शुरु से ही रूस से तेल खरीदारी करने को लेकर भारत से आपत्ति जताई थी लेकिन भारत ने साफ कह दिया था कि हम अपने नागरिकों के हित में कोई भी डील करते हैं और जहां से भारत को फायदा होगा, वहीं से भारत आपनी डील आगे बढ़ाता है.

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