नई संसद, नई पहचान: आत्मनिर्भरता को नया आयाम
नया संसद भवन इस लिहाज से भी बेहद खास हो जाता है कि अब हम भी उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गए हैं, जिसके पास गुलामी से मिली आजादी के बाद खुद का बनाया हुआ संसद भवन होगा।
तबाह महशियत..सड़क पर अवाम..बर्बाद पाकिस्तान
अगर पाकिस्तान में आज चुनाव होते हैं तो सत्ता में इमरान की वापसी तय है। इसलिए भी इमरान की पार्टी पीटीआई का पूरा जोर पाकिस्तान में जल्द आम चुनाव करवाने का है।
कर्नाटक में बदला राज: कांग्रेस को जीत की संजीवनी
बीजेपी के नजरिए से इस हार में कई बड़े सबक हैं। चुनाव-दर-चुनाव बीजेपी अपनी जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्मे पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हो चुकी है।
ऋण संकट में फंसा अमेरिका: कंगाली की डगर, साख पर तलवार
आठ दशकों से अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर और सबसे अमीर मुल्क बना रहा लेकिन युद्ध की तैयारियों और अत्याधुनिक और महंगे हथियारों के दम पर दुनिया पर राज करने के मंसूबे ने आज उसे भी कंगाली के कगार पर ला दिया है।
कार्टून पर विवाद: जर्मनी की अपनी ‘रेल’ पिछड़ने वाली है
हालात ये हैं कि अगर चीन ताइवान पर हमला कर दे तो जर्मन अर्थव्यवस्था के सामने सप्लाई चेन का ऐसा गंभीर संकट खड़ा हो सकता है जिसके मुकाबले में रूस-यूक्रेन संघर्ष के प्रभाव भी बौने साबित होंगे।
हिंदुओं पर हमला – संयोग या साजिश ?
कनाडा का सरकारी आंकड़ा बताता है कि बीते कुछ वर्षों में उनके देश में एंटी-हिंदू नैरेटिव में 72 फीसद की तेजी आई है. माना जा रहा है कि इसकी प्रमुख वजह खालिस्तानी समर्थकों का इस्लामिक कट्टरपंथियों से हाथ मिला लेना है.
मैक्रों के बयान पर बहस: नई दुनिया का उदय
बेशक यूक्रेन युद्ध में कम योगदान के लिए फ्रांस की भूमिका अक्सर सवालों में घिरती रही है, लेकिन यूरोप के ज्यादातर अन्य देश भी अमेरिका को लेकर सहज नहीं हैं।
साकार होगा विपक्षी एकता का ‘चमत्कार’?
वैसे अगर किसी तरह विपक्ष बीजेपी के खिलाफ एकजुट रहने का चमत्कार कर दिखाता है, तो फिर चुनाव दिलचस्प हो सकता है। लेकिन राजनीति में कोई दल अपने हितों की अनदेखी कर गठबंधन नहीं बनाएगा।
2024 की अंगड़ाई कर्नाटक की लड़ाई
जहां तक वोक्कालिगा समुदाय की बात है तो यह कर्नाटक का दूसरा प्रमुख समुदाय है और राज्य की आबादी में इसकी 12 से 14 फीसद के बीच हिस्सेदारी है।
ग्लोबल वॉर्मिंग का गहराता संकट: अब नहीं तो कब?
विडंबना है कि ऐसी आपातकालीन परिस्थिति आसन्न होने के बावजूद पर्यावरणीय प्रदूषण के सबसे बड़े जिम्मेदार दो देश - चीन और अमेरिका ने जीवाश्म ईंधन की नई परियोजनाओं को मंजूरी दी है।