एक महत्वपूर्ण आवाज के रूप में विश्व स्तर पर भारत की उपस्थिति इस तथ्य से भी रेखांकित होती है कि भारत एक ही समय में जी-20 और शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता संभाल रहा है।

दूसरी तरफ पहले चुनाव में कर्नाटक की जनता और फिर नतीजों के बाद विपक्ष से मिल रहे समर्थन से उत्साहित कांग्रेस की राह भी आसान नहीं रहने वाली है।

पाकिस्तान में उभर रहे संकट पर भारत की क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए? ताजा घटनाक्रम में एक बात तो साफ हो गई है कि पाकिस्तान में सेना का अब कोई डर या सम्मान नहीं है।

भले कर्नाटक के आम मतदाताओं में ये ज्यादा नहीं दिख रहा हो लेकिन प्रधानमंत्री की अगुवाई में बीजेपी के तीखे हमले और बजरंग दल के सड़क पर उतरने के बाद कांग्रेस बैकफुट पर तो दिख ही रही है।

सूडान का घटनाक्रम तेजी से बदल रही दुनिया की उन खतरनाक चुनौतियों की ओर भी ध्यान खींचता है जो अब बार बार हमारे सामने आकर खड़ी हो रही हैं।

अगर दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश का तमगा हमें कुछ दशक पहले मिला होता तो हो सकता है ये देश के लिए एक बड़ी चिंता का विषय होता।

तीन साल पहले राजस्थान में बीजेपी के ऑपरेशन लोट्स को विफल करने से पहले भी दूसरे राज्यों में कांग्रेस की सरकारें बचाने में गहलोत कांग्रेस में चाणक्य की भूमिका निभाते नजर आए हैं।

फिनलैंड को नाटो की सदस्यता देने से तमतमाया रूस अपनी सैन्य शक्ति को लगातार बढ़ा रहा है। ऐसे में फिनलैंड के बाद अगर यूक्रेन को भी नाटो की सदस्यता दी गई तो ये रूस को खुली चुनौती होगी जिसका अंजाम महाविनाश हो सकता है।

पंजाब फिर अस्सी वाले उसी दशक में न पहुंच जाए इसके लिए जरूरी है कि अमृतपाल के सरेंडर करने या उसकी गिरफ्तारी के बाद पारदर्शी जांच और अभियोजन सुनिश्चित कर जल्द-से-जल्द उसकी इस कथा का उपसंहार लिख दिया जाए।

चीन की चालबाजी का एक गौर करने वाला पक्ष ये भी है कि ‘सौ-सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली’ की तर्ज पर वो अब अपनी छवि सुधारने की जुगत भी लगा रहा है।