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अधिकतम 20 फीसदी मौजूदा पार्षदों को ही मिलेगा कमल का सिम्बल !

“मिशन 2022” यानी “केवल जीत” का लक्ष्य हासिल करने में जुटी BJP, ज्यादातर मौजूदा पार्षदों को टिकट नहीं देगी. मगर उन पार्षदों को टिकट दिए जाएंगे, जिन्हें 2017 के चुनाव में उम्मीदवारी से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने के लिए हुई मैराथन बैठक शुक्रवार तड़के तक चली. इस दौरान कई सांसदों और पदाधिकारियों में तीखी नोक-झोंक भी हुई. इसके बाद ज्यादातर सीटों पर तीन और बाकी पर दो-दो संभावित उम्मीदवारों का नाम तय किया गया हैं. प्रत्याशियों की सूची पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है.

ज्यादातर पार्षदों के कटेंगे टिकट, पुरानो को मौका 

गौरतलब है कि बीजेपी ने 2017 के चुनाव दूसरी बार निगम की सत्ता हासिल करने के लिए अपने तमाम मौजूदा पार्षदों को टिकट नहीं देने का फैसला लिया था. परिणाम यह हुआ कि पार्टी ना केवल फिर से सत्ता में लौटी, बल्कि उसे 2012 के मुकाबले 43 सीटें ज्यादा प्राप्त हुई. इस बार भले ही पार्टी ने मौजूदा पार्षदों को लेकर कोई फॉर्मूला घोषित नहीं किया. मगर जीत का लक्ष्य हासिल करने में जुटी पार्टी ज्यादातर मौजूदा पार्षदों को टिकट नहीं देगी. हालांकि 2017 में जीत के फॉर्मूला के तहत जिन पार्षदों को उम्मीदवारी के योग्य भी नहीं समझा गया था, इस बार उन्हें भी मौका दिया जाएगा.

कामकाज के प्रदर्शन का भी किया आंकलन

पार्टी सूत्रों के अनुसार परिसीमन के बाद मौजूदा पार्षदों में आधे पहले ही दौड़ से बाहर हो चुके हैं. कुछ की सीट आरक्षित श्रेणी में आ गई है तो कुछ का भूगोल बदलने से एक-एक सीट पर दो-दो पार्षद दावेदार हो गए. बाकी में से आधी सीटों पर पार्षदों को कामकाज आदि के आंकलन और जीत की संभावना के आधार पर ही टिकट मिल पाएंगे. सूत्रों के अनुसार खुद प्रदेश बीजेपी प्रभारी बैजयंत पांडा ने मौजूदा पार्षदों के कामकाज के प्रदर्शन की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आंकलन किया है.

तीन फॉर्मूला पर हुआ मंथन

भले ही पार्टी नेतृत्व रायशुमारी को चयन का आधार बता रही हो, मगर हकीकत यह है कि रायशुमारी तीन सूत्रीय फॉर्मूला का महज एक बिंदु ही रही. इसी के साथ प्रभारियों और जिलाधिकारियों की सिफारिश और गुप्त सर्वे के दौरान मिले मजबूत दावेदारों के नाम भी मंथन में शामिल किए गए. सर्वे में सामने आए कई नाम तो ऐसे भी हैं जिनका रायशुमारी और सिफारिश में जिक्र तक नहीं किया गया.

शुक्रवार तड़के तक हुआ मंथन

उम्मीदवारों के चयन के लिए चुनाव समिति गुरुवार शाम मंथन में जुट गई. प्रदेश कार्यालय में निर्धारित यह बैठक वहां के बजाए लुटियन ज़ोन में एक गुप्त स्थान पर हुई. बैठक में प्रदेश प्रभारी, सह प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष, संगठन मंत्री, महामंत्री, सांसद और पूर्व अध्यक्ष भी मौजूद रहे. शुक्रवार तड़के तीन बजे तक चली इस बैठक में ज्यादातर सीटों पर तीन-तीन नामों को अंतिम रूप दिया गया है. चुनिंदा सीटों पर जहां चार-चार नाम शामिल किए गए हैं, वहीं बाकी सीटों पर दो-दो संभावित उम्मीदवारों के नामों को ही रखा गया है.

पदाधिकारियों और सांसदों में हुई भिड़ंत

केजरीवाल से मिल रही कड़ी चुनौती और “मिशन 2022” सफल बनाने के लिए तीन सूत्रीय फॉर्मूले के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करने बैठी पार्टी में अभी भी टकराव खत्म नहीं हो रहा है. सूत्रों की मानें तो चहेतों को नेता बनाने और विरोधियों को जड़ से मिटाने की मानसिकता के चलते कई पदाधिकारियों और सांसदों में तीखी नोक-झोंक भी हुई.

केंद्रीय नेतृत्व लेगा फैसला

सूत्रों का कहना है कि मैराथन बैठक के बाद बनी संभावित उम्मीदवारों की सूची शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बी एल संतोष को सौंप दी जाएगी. वही उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देंगे.

अंतिम समय होगी घोषणा

सूत्रों पर यकीन करें तो उम्मीदवारों की घोषणा अंतिम समय में की जाएगी. दरअसल शनिवार और रविवार को नामांकन नहीं भरे जाएंगे. अभी तक कांग्रेस और “आप” ने भी उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है. पार्टी को डर है कि प्रत्याशियों की घोषणा पहले कर दी गई तो इससे वंचित पार्षद और दावेदार, तुरंत दल-बदल कर पार्टी की मुश्किल बढ़ा सकते हैं. अंतिम समय टिकट देने से उन्हें बागी उम्मीदवार के तौर पर नामांकन का समय भी नहीं मिल पाएगा.

 

 

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