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Umesh Pal Murder Case: शहीद सिपाही राघवेंद्र सिंह का शव पैतृक गांव पहुंचते ही मचा कोहराम, पांच मई को यहीं से निकलनी थी बारात

UP News: उमेश पाल हत्याकांड मामले में दूसरे गनर राघवेंद्र का इलाज लखनऊ के एसजीपीसीआई में चल रहा था. राघवेंद्र को मृतक आश्रित पर नौकरी मिली थी. उनके पिता भी पुलिस में थे.

Umesh Pal Murder Case

श्रद्धांजलि देते पुलिस अधिकारी (वीडियो ग्रैब)

Umesh Pal Murder Case: बसपा के पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्याकांड में शहीद सिपाही राघवेंद्र सिंह का शव जैसे ही लालगंज के कोरिहार के पैतृक गांव पहुंचा, पूरे गांव में कोहराम मच गया. शहीद के निवास पर भारी संख्या में गांव वाले पहुंच गए. इस मौके पर एडीजी सतीश गणेश, एसपी आलोक प्रियदर्शी सहित तमाम लोगों ने श्रद्धांजलि. बताया जा रहा है कि पांच मई को राघवेंद्र की पैतृक गांव से ही शादी होनी थी, और इससे पहले उनका शव गांव पहुंचा तो घरवालों से लेकर नाते-रिश्तेदार भी बेसुध हो गए.

 

रायबरेली के लालगंज निवासी राघवेंद्र सिंह उमेश पाल के गनर थे. 24 फरवरी को जब उमेश पाल पर हमला हुआ था तो राघवेंद्र सिंह बन के हमले में बुरी तरह से घायल हो गए थे. उनका कंधा बुरी तरह से जख्मी हो गया था. उनको गोलियां भी लगी थीं. घटना के तुरंत बाद ही उनको प्रयागराज के ही एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया था. यहां सर्जरी कर उनकी गोलियां निकाल दी गई थी, लेकिन बम लगने के कारण वह गम्भीर रूप से घायल हो गए थे. जब उनकी स्थिति यहां नहीं सुधरी तो उनको बेहरत इलाज के लिए ही SGPGI लखनऊ लाया गया था.

शहीद सिपाही राघवेंद्र सिंह को बचाने के लिए प्रयागराज, रायबरेली और लखनऊ पुलिस व प्रशासन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और ग्रीन कॉरिडोर बनाकर उनको लखनऊ लाया गया था, लेकिन इस कवायद के बावजूद भी जख्मी राघवेंद्र को नहीं बचाया जा सका.

बता दें कि 24 फरवरी को प्रयागराज में राजू पाल की हत्या कर दी गई थी. इस हमले में गनर संदीप निषाद की इलाज के दौरान उसी दिन मौत हो गई थी, जबकि दूसरे गनर घायल राघवेंद्र की घटना के पांच दिन बाद एक मार्च को निधन हो गया है.

पिता- बाबा भी थे पुलिस में

बताया जा रहा है कि राघवेंद्र के पिता रामसुमेर और बाबा भी पुलिस में थे, दोनों का निधन गम्भीर बीमारी के चलते नौकरी के दौरान ही हो गया था. राघवेंद्र की नौकरी मृतक आश्रित पर लगी थी. परिवार में अब मां अरुणा, बहन अर्चना और भाई ज्ञानेंद्र हैं. इस घटना के बाद से इन सभी का रो-रो कर बुरा हाल है.

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मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग

मृतक सिपाही के परिजनों ने सरकार से मुआवजा , सरकारी नौकरी और शहीद के नाम पर पथ बनाने की मांग की है. एसपी आलोक प्रियदर्शी ने बताया की परिजनों की मांगों को लेकर डीजीपी से उनकी वार्ता करवा दी गयी है. मृतक शहीद सिपाही का अंतिम संस्कार क्षेत्र के गोकना घाट पर किया गया. जहाँ प्रदेश सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने भी पहुंच कर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की और परिजनों को ढांढस बंधाया है.

-भारत एक्सप्रेस

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