Bharat Express

घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने वाले श्रीनगर के समीर बख्टू युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणास्त्रोत

घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में समीर अहमद बख्टू द्वारा किए गए प्रयासों की तमाम लोगों और संस्थाओं द्वारा सराहना की गई है.

Sameer Baktoo

श्रीनगर के समीर बख्टू

जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर जिले के निगीन क्षेत्र के युवा और पर्यटन के क्षेत्र के खिलाड़ी समीर अहमद बख्टू , घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं. इंडिया ट्रैवल कनेक्शंस एंड पैराडाइज कैंपिंग एक्सपेडिशन के संचालन प्रमुख समीर अहमद बख्टू राष्ट्रीय स्तर पर इकोटूरिज्म पर विभिन्न कार्यशालाओं और कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे हैं.

पर्यटन को दी नई दिशा

रेस्पॉन्सिबल टूरिज्म की पहल के तहत, समीर ने घाटी में इसे बढ़ावा देने के लिए अब तक कई अभियान और सम्मेलन आयोजित किए हैं. इको-टूरिज्म को लेकर भी समीर की कई योजनाएं हैं. समीर अहमद बख्टू पर्यटकों और इससे लाभान्विंत होने वाले लोगों के बीच एक रेस्पॉन्सिबल टूरिज्म की भावना विकसित करने के लिए ड्राइव और कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित करने की योजना बना रहे हैं.

कश्मीर में ईकोटूरिज़म की अपार संभावनाएं

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार कश्मीर में पर्यटन को लेकर समीर का कहना है कि, “कश्मीर में ईकोटूरिज़म के लिए अपार संभावनाएं हैं और हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि पर्यटन गतिविधियां स्थिर और रेस्पॉन्सिबल हों.” वहीं उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य पर्यटन को बढ़ावा देना है जो पर्यटकों और कश्मीर के स्थानीय लोगों दोनों को लाभान्वित करता हो और क्षेत्र के पर्यावरण और संस्कृति की रक्षा भी करता है.”

समीर के प्रयासों की सराहना

घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में समीर अहमद बख्टू द्वारा किए गए प्रयासों की तमाम लोगों और संस्थाओं द्वारा सराहना की गई है. पर्यटन उद्योग में वह कई युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणा बन गए हैं. समीर ने अपने काम के लिए मिली पहचान के बारे में बात करते हुए कहा, “मुझे मिली पहचान के लिए मैं आभारी हूं. यह मुझे घाटी में रेस्पॉन्सिबल टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में काम करना जारी रखने के लिए प्रेरित करता है.”

इसे भी पढ़ें: इंडियन स्पेस पॉलिसी-2023: क्या है फ्यूचर प्लान, समझें

स्थायी पर्यटन के तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करने और ईकोटूरिज्म के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के उनके प्रयासों से न केवल स्थानीय समुदायों को लाभ हुआ है बल्कि प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण में भी योगदान मिला है. कश्मीर में जिम्मेदार पर्यटन के लिए समीर का दृष्टिकोण प्रेरक है, और उनके काम की न केवल प्रशंसा करनी चाहिए, बल्कि उनका अनुकरण भी किया जाना चाहिए.

Bharat Express Live

Also Read