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Munna Shukla: वह नेता जिसने जेल में रहते हुए ही पूरी की पीएचडी

मुन्ना शुक्ला को 2007 में जिलाधिकारी की हत्या में शामिल होने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में अपील पर मुन्ना शुक्ला की सजा को कम कर दिया गया.

Bihar News: बिहार में बहार भले हो या ना हो लेकिन कुछ राजनितिक घरानों का दबदबा जरुर है. आजादी के बाद से रसूख अपना स्थान बदलता रहा लेकिन जलवा क़ायम रहा.

कौन है मुन्ना शुक्ला?

बिहार में आम बोलचाल में कहा जाता है कि, राज्य और देश में जितनी मुजफ्फरपुर की लिची नहीं फेमस है, उससे कहीं ज्यादा मुन्ना शुक्ला का नाम चर्चा में रहा है. विजय कुमार शुक्ला, जिसे मुन्ना शुक्ला के नाम से भी जाना जाता है, बिहार से विधान सभा (विधायक) का पूर्व सदस्य है. वह लगातार तीन बार बिहार विधान सभा के लिए निर्वाचित हुआ है. 4 दिसंबर, 1994 को मुन्ना शुक्ला के सबसे बड़े भाई छोटन शुक्ला (Chotan Shukla) की गाड़ी को घेरकर एके-47 से ताबड़तोड़ फायरिंग करके छोटन शुक्ला समेत चार अन्य राजनितिक सहयोगियों की हत्या कर दी गई थी. इसका आरोप मंत्री बृजबिहारी प्रसाद (Brijbihari Prasad) के करीबी ओंकार सिंह पर लगा. छोटन शुक्ला के हत्या की ख़बर जैसे ही पता चली हर तरफ सियापा पसर गया, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश इस हत्याकांड से सहम उठा था क्योंकि यह क्षेत्र इसकी प्रतिक्रिया के बारे में जानता था. अगले दिन पूरे बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की बाज़ारें बवाल की आशंका के चलते बन्द रहीं.

छोटन शुक्ला की शवयात्रा का नेतृत्व उसका छोटे भाई भुटकुन शुक्ला (Bhutkun Shukla) कर रहा था. साथ में परिवार के अन्य सदस्यों के साथ आनन्द मोहन (Anand Mohan), लवली आनन्द (Lovely Anand) समेत हजारों का जनसैलाब उमड़ पड़ा था. छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा के बीच उसी समय गोपालगंज जिले के डीएम जी कृष्णैया (DM G Krishnayya) की गाड़ी गुजर रही थी, शवयात्रा में शामिल लोगों ने प्रशासन का गुस्सा डीएम जी कृष्णैया पर निकाला और उनकी गाड़ी पर चौतरफा हमला बोल दिया जिसमें उनका वहीं निधन हो गया.

3 जून 1998 को इंदिरा गांधी आयुर्वेदिक संस्थान, पटना में पूर्व मंत्री बृज बिहारी भर्ती थे, वह खूब आराम से टहल कर स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे. उनपर छोटन शुक्ला की हत्या कराने का आरोप था. उसी रात तकरीबन आठ बजे पार्क में टहलते हुए बृजबिहारी की हत्या कर दी गई. मामला हाईप्रोफ़ाइल होने की वजह से सीबीआई जांच हुई जिसमें आरोप मुन्ना शुक्ला, श्रीप्रकाश शुक्ला (Shriprakash Shukla), राजन तिवारी, सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) समेत कई लोगों पर लगा.

विधानसभा का सफर

मुन्ना शुक्ला पहली बार सन् 2000 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लालगंज निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुना गया. इसके बाद फरवरी 2005 में लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर विधायक (MLA) बना. उसी वर्ष अक्टूबर के चुनावों में जनता दल (यूनाइटेड) से उम्मीदवार के तौर पर मुन्ना शुक्ला ने हैट्रिक लगाते हुए बिहार विधानसभा में दस्तक दी.

मुन्ना शुक्ला ने 2004 में वैशाली लोकसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिसमें मुन्ना शुक्ला चुनाव तो नहीं जीत सका लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद उसके पक्ष में जबरदस्त वोटिंग हुई थी.

मुन्ना शुक्ला को 2007 में जिलाधिकारी की हत्या में शामिल होने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में अपील पर मुन्ना शुक्ला की सजा को कम कर दिया गया, जब जिरह में यह निर्धारित हुआ कि वह उपस्थित था लेकिन हत्या में शामिल नहीं था.

2009 के लोकसभा चुनाव में मुन्ना शुक्ला ने जदयू के प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा का चुनाव लड़ा जिसमें वह तकरीबन 20 हजार मतों से चुनाव जीतने से दूर रह गया. उसके बाद सूरजभान सिंह के साथ बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में दोषी ठहराए जाने के कारण मुन्ना शुक्ला को चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया गया. 2010 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में मुन्ना शुक्ला ने अपनी पत्नी अन्नू शुक्ला को विधानसभा का चुनाव लड़ाया और पत्नी ने जीत दर्ज की. 2012 में जेल में रहते हुए मुन्ना शुक्ला ने हिन्दी में पीएचडी (Phd) पूरी की और उसे बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी से सम्मानित किया गया.

-भारत एक्सप्रेस

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