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Kumar Vishwas Birthday: इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ कवि बने कुमार विश्वास, ‘कोई दीवाना कहता है…’ से बन गए युवाओं के दिलों की धड़कन

Kumar Vishwas Birthday: युवाओं को अपनी कविताओं के जरिए मंत्रमुग्ध करने वाले डॉ. कुमार विश्वास को उनके पिता इंजीनियर बनाना चाहते थे लेकिन उनका मन साहित्य में रचता-बसता था.

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डॉ. कुमार विश्वास (फोटो-KumarVishwas/फेसबुक)

Kumar Vishwas Birthday: “कोई दीवाना कहता है… कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है.” ये गीत गांवों से लेकर शहरों तक, युवाओं की जुबान पर ऐसे आया कि कुमार विश्वास देखते ही देखते उनके चहेते बन गए. इन पंक्तियों को सुनकर न जाने कितने ही दीवाने दिल धड़क उठते हैं. इस गीत ने कुमार विश्वास को ऐसी प्रसिद्धि दिलाई कि सालों बाद आज भी कुमार विश्वास किसी सम्मेलन में जाते हैं तो इस गीत से ही उनका स्वागत होता है और बार-बार उनसे दरख्वास्त की जाती है कि एक बार ही सही, इन पंक्तियों को वे गुनगुना दें. अपनी कविताओं के माध्यम से दुनियाभर में हिंदी का मान बढ़ाने वाले कुमार विश्वास का आज जन्मदिन है.

हिंदी के कवि और प्रखर वक्ता होने के साथ-साथ वे राजनीति के क्षेत्र में भी सक्रिय रह चुके हैं. वे अन्ना आंदोलन का अभिन्न अंग रहे और आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे. हालांकि, कुछ मतभेदों के बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी से किनारा कर लिया. फिर भी, समय-समय पर वे देश और आम आदमी से जुड़े मुद्दों को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए उठाते रहे हैं.

राजनीति को लेकर कुमार विश्वास कहते हैं, “सियासत! मैं तेरा खोया या पाया हो नहीं सकता
तेरी शर्तों पे गायब या नुमाया हो नहीं सकता,
भले साजिश से गहरे दफ्न मुझ को कर भी दो पर मैं
सृजन का बीज हूँ मिट्टी में ज़ाया हो नहीं सकता.”

विदेशों में भी कुमार विश्वास के कार्यक्रम बेहद लोकप्रिय

कुमार विश्वास के कवि सम्मेलन को लेकर युवाओं में गजब का उत्साह देखने को मिलता है. देश के सैकड़ों प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थाओं में उनके कार्यक्रम होते रहे हैं और इस दौरान खचाखच भरे हॉल कुमार विश्वास की लोकप्रियता के स्तर को खुद-ब-खुद बयां करते हैं. देश ही नहीं विदेशों में भी डॉ. कुमार विश्वास के कार्यक्रम और उनकी कविताओं के प्रति स्रोताओं का उत्साह देखते ही बनता है. कुमार विश्वास अपनी कविताओं के साथ-साथ व्यंग्य का जो तड़का लगाते हैं, उनके आलोचक भी मुस्कुराए बिना नहीं रह पाते हैं.

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पिता इंजीनियर बनाना चाहते थे

युवाओं को अपनी कविताओं के जरिए मंत्रमुग्ध करने वाले डॉ. कुमार विश्वास को उनके पिता इंजीनियर बनाना चाहते थे लेकिन उनका मन साहित्य में रचता-बसता था. इसलिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई को बीच में ही त्यागकर कुमार विश्वास ने साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने की ठानी. आज एक हिंदी कवि के रूप में, कुमार विश्वास महान ऊंचाइयों पर पहुंच चुके हैं और खुद को श्रृंगार-रस के कवि के रूप में स्थापित कर चुके हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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