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Ghosi Bypolls Result 2023: मतगणना केंद्र पर नहीं पहुंचे भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान, क्या पहले ही हार का हो गया था अंदेशा?

वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद गोस्वामी बताते हैं कि दारा सिंह सियासी तापमान भांपने में माहिर हैं, लेकिन कभी-कभी वह धोखा खा जाते हैं.

दारा सिंह चौहान

Ghosi Bypolls Result 2023: मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे लगभग सामने आ गए हैं. भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने भारी मतों के अंतर से हरा दिया है. सपा को 1,10,930 वोट प्राप्त हुए हैं तो वहीं दूसरे स्थान पर रहते हुए भाजपा को 74362 वोट हासिल हुए. वहीं तीसरे स्थान पर नोटा ने अपनी जगह बना रखी है. इसी बीच खबर सामने आ रही है कि भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह सुबह से लेकर शाम 4 बजे तक मतगणना स्थल पर नहीं पहुंचे. राजनीतिक गलियारों में इसको लेकर जमकर कानाफूसी हो रही है और लोगों का कहना है कि जनता ने उनको दल बदलने की सजा दी है. हालांकि राजनीतिक पंडित तमाम गुणा-भाग लगाने के बाद दारा सिंह की हार की बड़ी वजह बता रहे हैं:

बता दें कि 5 सितम्बर को घोसी उपचुनाव के लिए वोट डाले गए थे. दारा सिंह ने ज्यादा से ज्यादा वोटों से विजयी होने की घोषणा की थी, लेकिन वह जब सुबह से ही मतगणना स्थल नहीं पहुंचे. राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है कि क्या दारा सिंह को पहले से पता था कि वह हारने वाले हैं और इसी वजह से मतगणना स्थल नहीं पहुंचे. फिलहाल राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जनता ने उनको दल बदलने की सजा दी है. 2022 में समाजवादी पार्टी की टिकट पर घोसी से विधायक बने और फिर अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं किया और मंत्री बनने के लालच में उन्होंने भाजपा का हाथ थाम लिया और जीती हुई सीट से इस्तीफा दे दिया. इसी को मुद्दा बनाकर सपा ने जिस कदर जनता के मन में दारा सिंह चौहान को लेकर जहर घोला कि उनको उपचुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा.

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दल बदलने की मिली सजा

राजनीतिक पंडितो का कहना है कि पहले वह योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और उनके पास वन एवं पर्यावरण जैसा महत्वपूर्ण विभाग था, लेकिन जब 2022 में विधानसभा चुनाव पास आए तो उन्होंने अधिक पाने के लालच में भाजपा छोड़ कर सपा में शामिल हो गए. उनको ये यकीन था कि 2022 के चुनाव में सपा की सरकार आएगी और उनको भाजपा से अधिक मिलेगा, लेकिन समाजवादी पार्टी की सरकार नहीं बनी और फिर वह निराश होकर फिर से बीजेपी में शामिल हो गए और फिर घोसी में उपचुनाव हुआ तो भाजपा ने उनको घोसी से टिकट दे दिया. नतीजतन जनता उनके लालच को ताड़ गई और इस बार उनको हार का मुंह देखना पड़ा.

हालांकि इस दौरान सपा ने भी उनके खिलाफ जमकर प्रचार किया और यहां तक कहा कि जो अपनी पार्टी का नहीं वो जनता का कैसे हो सकता है? वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद गोस्वामी बताते हैं कि दारा सिंह सियासी तापमान भांपने में माहिर हैं, लेकिन कभी-कभी वह धोखा खा जाते हैं. 2009 में उन्होंने बसपा से चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंचे, फिर 2014 में बसपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचने से वंचित रह गए. 2015 में भाजपा में शामिल हो गए और फिर 2017 के चुनाव में पार्टी ने मधुबन विधानसभा से टिकट दिया और विधायक ही नहीं मंत्री भी बने लेकिन 2022 में सियासी तापमान भांपने में उन्होंने गलती कर दी, जिसका खामियाजा उन्होंने इस बार उठाना पड़ा है.

-भारत एक्सप्रेस

 

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