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Electricity Strike in UP: बिजली कर्मियों की हड़ताल पर उर्जा मंत्री का बड़ा एक्शन, नई भर्तियां शुरू, हड़तालियों ने जेल भरो आंदोलन चलाने की दी चेतावनी

Lucknow: बिजली हड़ताल पर यूपी सरकार और कर्मचारी आमने-सामने आ गए हैं. ऊर्जा मंत्री ने इस हड़ताल को कोर्ट के आदेश के खिलाफ बताया है तो वहीं कर्मचारी नेताओं ने कहा है कि इन सबके लिए ऊर्जा निगमों की शीर्ष प्रबंधन जिम्मेदार है.

Electricity Strike in UP

ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से बातचीत करते कर्मचारी

Electricity Strike in UP: कई मांगों को लेकर उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मियों की हड़ताल में अब सरकार और हड़ताली आमने-सामने आ गए हैं. जहां एक ओर हड़ताल के बाद बड़ी संख्या में संविदा कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा कर नई भर्ती का ऐलान सरकार कर रही है तो वहीं दूसरी ओर हड़ताली जेल भरो आंदोलन चलाने की चेतावनी दे रहे हैं. इस बीच ऊर्जा मंत्री एके शर्मा का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि पावर कॉर्पोरेशन घाटे में है. फिर भी कर्मचारियों की मांगे पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं.

ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बताया कि पावर कॉर्पोरेशन करीब एक लाख करोड़ के घाटे में है. 80 हजार करोड़ का कर्ज भी है, लेकिन फिर भी हम विद्युत कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए अव्यवहारिक व जन विरोधी हड़ताल को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा.

उन्होंने हड़ताल को असफल बताते हुए कहा कि सरकार अब भी बातचीत को तैयार है. कर्मचारी सहयोग करेंगे तो सरकार भी उनके प्रति संवेदनशीलता दिखाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कर्मचारियों को कुछ घंटे की मोहलत देते हुए काम पर लौटने को कहा. साथ ही बर्खास्त करने की चेतावनी भी दी.

मंत्री एके शर्मा ने कहा कि ये हड़ताल कोर्ट के आदेश के खिलाफ है. वहीं उन्होंने प्रदेश भर के मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, एसपी को निर्देश दिया कि हड़ताल पर गए कर्मचारियों को चिह्नित किया जाए. उन्होंने ये भी कहा है कि निर्बाध आपूर्ति के लिए बर्खास्त होने वाले कर्मचारियों की जगह पर आईटीआई, पॉलीटेक्निक और इंजीनियर पास अभ्यर्थियों की भर्ती शुरू की जा रही है.

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कर्मचारियों ने जेल भरने की दी चेतावनी

दूसरी ओर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि वे शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे हैं. अगर उनको परेशान किया गया या फिर गिरफ्तार अथवा नौकरी से निकाला गया तो पूरे प्रदेश में सामूहिक जेल भरो आंदोलन चलाएंगे. इसी के साथ कर्मचारी व अभियंता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे. उन्होंने इस हालात के लिए ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं एस्मा के तहत जिन बिजलीकर्मियों को निलम्बित किया गया है, उनको अलग-अलग क्षेत्रों के कार्योलयों में सम्बंद्ध किया गया है.

ये हैं बिजलीकर्मियों की प्रमुख मांगें

-उर्जा निगमों के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक का चयन समिति के द्वारा किया जाए.
-पूर्व की तरह मिल रहे तीन पदोन्नति पदों के समयबद्ध वेतनमान के आदेश किए जाएं.
-कर्मियों के लिए पावर सेक्टर इम्प्लाइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए.
-पारेषण के उपकेंद्रों के परिचालन एवं अनुरक्षण की आउटसोर्सिंग को बंद किया जाए.
-निविदा/संविदा कर्मियों को समान मानदेय दिया जाए.
-भत्तों के पुनरीक्षण एवं वेतन विसंगतियों का निराकरण कराया जाए.
-सस्ती बिजली उपलब्ध कराने वाले विद्युत उत्पादन निगम को ओबरा व अनपरा में 800-800 मेगावाट की 2-2 इकाइयां प्रदान की जाएं.

-भारत एक्सप्रेस

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