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2024 से पहले मजबूत स्थिति में आने की कोशिश में कांग्रेस! कर्नाटक के बाद पायलट-गहलोत का विवाद सुलझाएगा आलाकमान

Rajasthan Election 2023: राजस्थान में सचिन पायलट ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. पायलट ने अपनी तीन मांगों को दोहराया है और राज्य सरकार को उनके समाधान के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है.

rajasthan Congress

सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट

Rajasthan congress crisis: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अब मजबूत विपक्ष के तौर पर खड़े होने की कोशिश कर रही है. हालांकि उससे पहले पार्टी के अंदर ही चल रहे आपसी ग्रह कलेश को खत्म करना होगा. इसके लिए कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में सचिन पायलट के मुद्दे को सुलझाने से पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद के मुद्दे को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. कर्नाटक का मामला शांत होते ही पार्टी आलाकमान सचिन पायलट विवाद सुलझाने की कोशिश करेगा.

इस समय राजस्थान में सचिन पायलट ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. पायलट ने अपनी तीन मांगों को दोहराया है और राज्य सरकार को उनके समाधान के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है.

पायलट किन तीन मांगों पर कर रहे विवाद

सचिन पायलट ने अपनी तीन मांगों को लेकर गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. पायलट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग कर एक नया संगठन बनाया जाना चाहिए, पेपर लीक के बदले बेरोजगारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए और वसुंधरा राजे की भाजपा सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए.

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कर्नाटक के बाद राजस्थान का रुख करेगा आलाकमान

हालांकि पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि “कर्नाटक में चल रहे सीएम के फैसले के बाद कांग्रेस आलाकमान राजस्थान का रुख करेगा और पायलट-गहलोत युद्ध को रोकने की कोशिश करेगा. उन्होंने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के चुनावों के मद्देनजर गहलोत फिलहाल चुप हैं और न तो कर्नाटक या राजस्थान के मुद्दे पर बोल रहे हैं. हालांकि, वह अपनी योजनाओं को धरातल पर लागू करने और लोगों तक यह संदेश पहुंचाने में व्यस्त हैं”.

जानकारी के मुताबिक, पायलट द्वारा राजस्थान सरकार को भ्रष्ट कहे जाने से जहां गहलोत खेमे के कई नेता आक्रोशित हैं, वहीं पायलट की यात्रा और भाषण पर आलाकमान की चुप्पी पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

सचिन पायलट पर उठ रहे सवाल

क्या पायलट को विधानसभा चुनाव का नेतृत्व करने का मौका दिया जाएगा, क्या पायलट कांग्रेस में रहेंगे या अपनी खुद की पार्टी बनाएंगे, राजनीतिक गलियारों में इस पर सवाल उठ रहे हैं. उनके 15 दिन के अल्टीमेटम के बाद दो दिन शांति से बीत गए, लेकिन उनकी मांगों पर किसी वरिष्ठ नेता की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. इससे पहले पायलट ने 11 अप्रैल को एक दिन का अनशन किया था. फिर उन्होंने 11 मई को अपनी जन संघर्ष यात्रा शुरू की.

11 जून को उनके पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि है. तो क्या वह इस दिन कोई बड़ी घोषणा करेंगे, यह सवाल कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के कार्यकर्ता भी पूछ रहे हैं.

– भारत एक्स्प्रेस

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