Bharat Express

West Bengal: डॉक्टरों की कमी के चलते CM ममता बनर्जी ने बनाया ‘डिप्लोमा प्लान’, विपक्ष ने की आलोचना, जानें क्या है पूरा मामला ?

Medicine Diploma Course: भाजपा के राज्य प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि “यह मुख्यमंत्री का प्रस्ताव बना रहेगा और कभी भी दिन के उजाले को नहीं देखेगा. उन्होंने कहा, यह एक खतरनाक प्रस्ताव है”.

mamta

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

Mamata Banerjee: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मेडिकल में तीन साल का डिप्लोमा कोर्स शुरू कराने के निर्देश दे दिए हैं, जिस पर प्रदेश में विवाद शुरू हो गया है. जानकारी के मुताबिक, यह कोर्स एमबीबीएस के मौजूदा ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ-साथ चलेगा. उन्होंने स्वास्थ्य सचिव को इस संबंध में डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने की संभावनाओं का मूल्यांकन करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है. सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रदेश में डॉक्टरों की कमी के चलते ये कदम उठाया है. गुरुवार को ममता बनर्जी ने कहा है कि ऐसे कोर्सेज की शुरुआत होनी चाहिए जिससे जल्दी से डॉक्टरों की कमी पूरी की जा सके.

ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय में आयोजित उत्कर्ष बांग्ला की समीक्षा बैठक के दौरान कहा “आप कृपया पता लगाएं कि क्या हम चिकित्सा कर्मियों के लिए डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू कर सकते हैं, जैसे हम इंजीनियरों के लिए करते हैं. कई लड़कों और लड़कियों को मेडिकल पाठ्यक्रम में दाखिला लेने का अवसर मिलेगा”.

विपक्ष ने की आलोचना

हालांकि, उनके प्रस्ताव ने विपक्षी दलों के बीच विवाद पैदा कर दिया है. वहीं चिकित्सा से जुड़े एक वर्ग ने इस निर्णय को जोखिम भरा प्रस्ताव बताया है. भाजपा के राज्य प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि यह मुख्यमंत्री का प्रस्ताव बना रहेगा और कभी भी दिन के उजाले को नहीं देखेगा. उन्होंने कहा, यह एक खतरनाक प्रस्ताव है. कांग्रेस नेता और कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकील कौस्तव बागची ने कहा कि पुलिस में नागरिक स्वयंसेवकों की तर्ज पर मेडिसिन में डिप्लोमा के मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को अगर अमल में लाया जाता है, तो इससे कई रोगियों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा.

यह भी पढ़ें- Weather Update: दिल्ली में बिगड़ सकता है मौसम, आंधी-तूफान और बारिश से मिलेगी थोड़ी राहत, तापमान पहुंचेगा 40 के पार

यहां तक कि चिकित्सा बिरादरी ने भी इस विचार का कड़ा विरोध किया है. कलकत्ता के डॉक्टर डॉ. अरिंदम बिस्वास के अनुसार, यह मॉडल, हालांकि एक हद तक चीन में मौजूद है, भारत में इसे दोहराया नहीं जा सकता.

योग्य लोगों का इस्तेमाल किया जा सकता है- ममता

ममता बनर्जी ने भी कहा कि चूंकि मौजूदा एमबीबीएस कोर्स पांच साल की अवधि का है, इसलिए अक्सर राज्य सरकार को योग्य डॉक्टरों को पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. ममता ने कहा, अस्पतालों और बिस्तरों की संख्या कई गुना बढ़ गई है. यदि एक समानांतर डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया जा सकता है, तो वहां योग्य लोगों का उपयोग स्वास्थ्य केंद्रों में किया जा सकता है. मुझे लगता है कि इसके सकारात्मक परिणाम मिलेंगे.

– भारत एक्सप्रेस

 

 

Bharat Express Live

Also Read