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“सठिया गए हैं स्वामी प्रसाद मौर्य, संघमित्रा बताएं किसके साथ खड़ी हैं”, रामचरितमानस विवाद पर कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह की दो टूक

अखिलेश जी की चुप्पी स्वामी प्रसाद का मौन समर्थन है, नहीं तो निर्णय लें और पार्टी से बाहर निकालें.

रामचरितमानस पर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दी गई विवादित टिप्पणी पर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह का बयान सामने आया है. उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में एक शादी के कार्यक्रम में पहुंचे मंत्री ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य सठिया गए हैं. उनके मूर्खतापूर्ण बयानों पर जनता ध्यान नहीं दे रही है. अखिलेश जी की चुप्पी स्वामी प्रसाद का मौन समर्थन है, नहीं तो निर्णय लें और पार्टी से बाहर निकालें. इसी के साथ उन्होंने भाजपा सांसद व मौर्य की बेटी संघमित्रा की ओर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनको तय करना पड़ेगा कि वह किसके साथ हैं.

इस टिप्पणी पर कि बदायूं से भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य स्वामी प्रसाद के विवादित बयान का समर्थन कर रही हैं, जयवीर सिंह ने कहा कि – अभी लोकसभा चुनाव में 1 साल का वक्त है इसलिए अब संघमित्रा जी को निर्णय लेना पड़ेगा कि वो पार्टी के साथ खड़ी हैं या पिता के साथ.


वहीं डिंपल और शिवपाल यादव द्वारा मुलायम सिंह यादव को भारत रत्न देने की मांग पर कैबिनेट मंत्री ने कहा कि – भाजपा राष्ट्रहित में फैसले लेती है. जो जैसा डिजर्व करता है उसी को लेकर भारत सरकार ने काम किया है. उन्हें लग रहा है कि नेताजी को सम्मान देने से उनका वोट खिसक सकता है लेकिन हम राजनीति नहीं करते. इनकी जगह अगर सपा होती तो क्या किसी भाजपा नेता को सम्मान देती? उन्होंने आगे तंज कसते हुए कहा कि – जब अखिलेश यादव कल्याण सिंह जी की मृत्यु पर एक फूल अर्पित करने नहीं गए तो उसी से समझ लेना चाहिए कि अखिलेश जी बड़े नेता हैं, अगर कभी प्रधानमंत्री बने तो पिता को भारत रत्न दे दें.

बता दें कि हाल ही में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिंदू धर्मग्रंथ व महाकाव्य पर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा था कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. तुलसीदास ने इसे अपनी खुशी के लिए लिखा था. करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते. उन्होंने सरकार से इस पर प्रतिबंध तक लगाने की मांग तक कर दी. मौर्य ने रामचरितमानस को बकवास बताते हुए इसकी कुछ चौपाइयां हटवाने की मांग की थी जिसके बाद से पूरे उत्तर प्रदेश में उनका विरोध हो रहा है. अयोध्या के संत-महात्मा से लेकर जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने भी उनकी इस टिप्पणी की निन्दा की.

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अब स्वामी प्रसाद ने संतों-महंतों पर भी एक विवादित पोस्ट कर मामले को और हवा दे दी है। उन्होंने लिखा है कि, “अभी हाल में मेरे दिये गये बयान पर कुछ धर्म के ठेकेदारों ने मेरी जीभ काटने एवं सिर काटने वालों को इनाम घोषित किया है, अगर यही बात कोई और कहता तो यही ठेकेदार उसे आतंकवादी कहते, किंतु अब इन संतों, महंतों, धर्माचार्यों व जाति विशेष लोगों को क्या कहा जाए आतंकवादी, महाशैतान या जल्लाद।”

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