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म्यूचुअल फंड के नियमों में सेबी ने दिया बदलाव का सुझाव, इंडस्ट्री में मायूसी

इंटरनल एनालिसिस में सेबी ने पाया कि बीते 5 सालों में  सक्रिय रूप से मैनेज की गई 26.67 फीसदी इक्विटी स्कीम्स ने इंडेक्स से ज्यादा या उसके बराबर रिटर्न दिया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Performance fee on mutuaत funds : Securities and Exchange Board of India (SEBI) ने म्युचुअल फंड ( Mutual Fund )  को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. सेबी ने म्युचुअल फंडज मैनेजर्स ( Mutual Fund Managers ) की फीस को फंड की परफॉर्मेंस से जोड़ने का प्रस्ताव दिया है. साफ शब्दों में कहा गया है कि अगर फंड परफार्म करता है तो फीस लें नहीं तो नहीं. सेबी ( sebi ) के इस फैसले से कस्टमर्स तो खुश हैं लेकिन म्युचुअल फंड इंडस्ट्री में मायूसी है. दरअसल सेबी के फैसले का सीधा सा मतलब है कि अब किसी फंड के परफॉर्म न करने की जबावदेही फंड मैनेजर्स की होगी. इनकी परफॉरमेंस के आधार पर ही निवेशकों से फीस ली जाएगी.

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क्यों पड़ी इस नियम की जरूरत-

2023 दरअसल इंटरनल एनालिसिस में सेबी ने पाया कि बीते 5 सालों में  सक्रिय रूप से मैनेज की गई 26.67 फीसदी इक्विटी स्कीम्स ने इंडेक्स से ज्यादा या उसके बराबर रिटर्न दिया है. साथ ही कई एक्टिवली मैनेज्ड म्यूचुअल फंड अपने बेंचमार्क सूचकांकों की जानकारी देने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं. इसके बाद सेबी ने परफार्मेंस फीस लाने का फैसला किया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्रपोजल पर राय लेने के लिए सेबी ने एक कंसलटेंशन पेपर फाइल किया है. सभी पक्षों की राय जानने के बाद ही इस फीस को लेकर फैसला किया जाएगा. फिलहाल, एसेट अंडर मैनेजमेंट(AUM) नियमों के तहत फंड हाउस से कुछ चार्ज लिया जाता है.

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क्या होगा इस नियम का असर –

सेबी का मानना है कि इस नियम के लागू होने से फंड मैनेजर्स बेहतर रिजल्ट लाने के प्रोत्साहित होंगे. जिससे निवेशकों को फायदा मिलेगा. पिछले कुछ समय से सेबी निवेशकों को फायदा पहुंचाने के लिए इन्वेस्टमेंट के नियमों में बदलाव कर रही है. नया प्रस्ताव उसी दिशा में एक प्रयास है.

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